जेमिनी बृहद्भाषा प्रतिमान (Gemini Large Language Model) एक अत्याधुनिक भाषा मॉडल है, जिसकी कई विशेषताएं इसे अन्य मॉडलों से अलग बनाती हैं। आइए इन विशेषताओं पर एक नज़र डालते हैं:
* **विविधतापूर्ण जानकारी का गहन ज्ञान:** जेमिनी को विशाल मात्रा में टेक्स्ट डेटा पर प्रशिक्षित किया गया है, जिसके कारण यह विभिन्न विषयों पर अत्यंत विस्तृत जानकारी रखता है। यह आपको विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के जवाब दे सकता है और विभिन्न विषयों पर चर्चा कर सकता है।
* **प्राकृतिक भाषा समझ:** जेमिनी प्राकृतिक भाषा को बेहतर ढंग से समझता है। यह जटिल वाक्यों और वाक्यांशों का अर्थ समझ सकता है, और संदर्भ के आधार पर विभिन्न शब्दों के अर्थ को समझ सकता है।
* **पाठ उत्पन्न करने की क्षमता:** जेमिनी विभिन्न प्रकार का टेक्स्ट उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि लेख, कविता, स्क्रिप्ट, ईमेल, और कोड। यह आपके दिए गए निर्देशों के आधार पर विभिन्न लेखन शैलियों और स्वरों में भी लिख सकता है।
* **अनुवाद:** जेमिनी कई भाषाओं में अनुवाद कर सकता है। यह आपको एक भाषा से दूसरी भाषा में टेक्स्ट को तुरंत अनुवाद करने में मदद कर सकता है।
* **सृजनात्मकता:** जेमिनी रचनात्मक लेखन में भी सक्षम है। यह कहानियां, कविताएं और स्क्रिप्ट लिख सकता है।
* **सीखने की क्षमता:** जेमिनी लगातार सीखता रहता है। यह नए डेटा के आधार पर अपने ज्ञान और क्षमताओं को बढ़ा सकता है।
**जेमिनी के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू:**
* **बहुमुखी प्रतिभा:** जेमिनी कई कार्यों को करने में सक्षम है, जैसे कि जानकारी खोजना, प्रश्न का उत्तर देना, टेक्स्ट सारांशित करना, भाषा अनुवाद करना, और रचनात्मक लेखन करना।
* **तकनीकी रूप से उन्नत:** जेमिनी नवीनतम तकनीक पर आधारित है, जो इसे अत्यंत शक्तिशाली बनाता है।
* **विकासशील:** जेमिनी लगातार विकसित हो रहा है, और भविष्य में इसकी क्षमताएं और भी अधिक बढ़ सकती हैं।
**संक्षेप में:** जेमिनी एक अत्यंत शक्तिशाली और बहुमुखी भाषा मॉडल है, जो कई कार्यों को करने में सक्षम है। यह प्राकृतिक भाषा को समझने, टेक्स्ट उत्पन्न करने, अनुवाद करने और रचनात्मक लेखन करने में माहिर है।
**क्या आप जेमिनी के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं?**
प्र॰। साधु कौन। उ॰। शब्दकोश में इसका सामान्य अर्थ सभ्य सज्जन परोपकारी इत्यादि दिये गये हैं। पर शास्त्र में इसकी एक ठोस परिसीमा है। मनु के द्वितीय अध्याय ग्यारहवाँ सूत्र में स्पष्ट निर्देश है कि श्रुतिस्मृति को अवमन्य करनेवालों को साधुजन द्वारा बहिष्कृत होना चाहिए। अर्थात जो श्रुतिस्मृति की अवमानना करें वे साधु नहीं।
पवनाभिमुख प्रस्थान। मुख्यतः नारीशक्ति की कहानी। विमानचालक पद प्राप्ती की यात्रा में स्त्रियों की कठिनाईयाँ अपने परिजनों से कार्यालय में सहकर्मियों से अपने ही व्यसनों से इत्यादि। विशेष बात है कि चीनिस्तान की नौ रेखाखण्ड दक्षिण सागर सीमा दर्शाने के कारण वियेटनाम में इसपर प्रतिबन्ध लगाया गया। अतिरिक्ततः चीनिस्तान का स्व निर्मित यात्री विमान की उडान का प्रदर्शन किया गया। यह भी बताया गया कि विमान का गत्योत्पादक यन्त्र का निर्माण भी कुछ ही वर्षों में अपेक्षित है।
https://m.youtube.com/watch?v=dhRGkmS3RAc
ड्यून२। अर्राकिस मरुग्रह में अट्रेयडीस हार्कोन्नेन महाघरों के बीच युद्ध की कहानी। अरबी बदूईन सभ्यता के जैसी फ्रेमेन जनजाति का इसमें बडा पात्र है जो परतन्त्र मुक्त होना चाहते हैं। पर केवल अर्राकिस में
प्राप्त विशिष्ट खनिज पर निर्भर अन्तरतारा साम्राज्य उन्हें छोड नहीं सकता। कलात्मक चलचित्र तथा अद्भुत युद्ध के दृश्य।
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शान्तिवाद। जैसे धन्य धन्य कहने का सूचक शब्द धन्यवाद तथा साधु साधु कहने का सूचक शब्द साधुवाद वैसे ही शान्ति शान्ति कहने के लिए सूचक शब्द के रूप में शान्तिवाद॥
दण्डनीति। प्र॰। दण्डनीति के प्रसंग में यथार्ह क्या है। उ॰। अर्ह अर्थात योग्य अथवा उचित। कौटलीय अर्थशास्त्र में इसका यह विवरण है। तीक्ष्णदण्डो हि भूतानामुद्वेजनीयः। मृदुदण्डः परिभूयते। यथार्हदण्डः पूज्यः॥ विनयाधिकारिके विद्यासमुद्देशे दण्डनीतिस्थापना अध्याये॥ अर्थात जो दण्ड जन समाज को क्रोधित ना करे तथा जिसका तिरस्कार अथवा अनादर भी ना हो वही यथार्ह॥ ध्यातव्य। अर्हता द्वारा शास्त्र मर्यादाओं का अतिक्रमण नहीं होता॥ यह भी कहा गया। पुरुषंच अपराधंच कारणं गुरुलाघवम्। अनुबन्धं तदात्वं च देशकालौ समीक्ष्य च। उत्तमावरमध्यत्वं प्रदेष्टा दण्डकर्मणि॥ कण्टकशोधने एकांगवधनिष्क्रयः अध्याये॥ अर्थात दण्ड प्रसंगानुसार परिवर्तनीय॥ स्मृतियों में भी दण्ड की अर्हता का उल्लेख है। जैसे मनु के सप्तमो अध्याय सोलहवाँ सूत्र में॥ दैहिक दण्ड। वर्तमान काल में अन्तरराष्ट्रीय समझौते हैं कि दैहिक दण्ड निषेदित हो। केवल कारावास समय अथवा आर्थिक दण्ड प्रयुक्तव्य। स्वमत है कि पूर्वोक्त वचनों से यह शास्त्र विरोधी नहीं।
अवगूगलीकरण। वस्तुतः किसी भी लाभार्थ जालसेवासंस्था से मुक्त होना। गूगिल इत्यादि के दो बडे सुविधाएँ हैं। एक है जानकारी का संस्करण नियन्त्रण जिससे पूर्ववत रूपान्तरण सुलभ है। दूसरा जानकारी को अन्यत्र सुरक्षित रखना जिससे वह कोई दुर्घटना से मिट ना जाए। यदि अपनी सभी जानकारी सामान्य लेख प्रारूप में रखें तो गिट उपकरण द्वारा संस्करण नियन्त्रण स्वयम कर सकते हैं। यदि अपने पास दो भिन्न यन्त्र हैं जैसे एक संगणक और एक आण्ड्रोयिड विचलयन्त्र तो आरसिंक उपकरण से जानकारी स्वयम सुरक्षित रख सकते हैं। इस स्थिति में गूगिल इ॰ के सम्पर्कसूची दिनदर्शिका जालसंदेशग्राहक जैसे क्रमकों के स्थान पर ईमाक्स जैसा एक लेखसम्पादक ही पर्याप्त। सरल नहीं पर सम्भाव्य॥ संलग्नित संलाप हास्यवादी॥ गूगिल के जालसंचारक प्लेयस्टोर इ॰ के लिए मुक्त विकल्प उपलब्ध हैं। खोज यूट्यूब तथा यात्रा मार्गदर्शन सेवाएँ अभी भी निर्विकल्प।
https://m.youtube.com/watch?v=urcL86UpqZc
मादकद्रव्य आखेट। बीस तीस वर्ष पूर्व चीनिस्तान में मादक द्रव्य उत्पादक तथा तस्करों की एक हिंसक कहानी। आधुनिक नगरों से बाहर तथा कार्यालयों से दूर जीवन का अच्छा चित्रण। इसमें एक विशेष बात है कि मुख्य महिला अभिनयकर्ता यौआन्ना ह्वावेय संस्था के संस्थापक रेनजंगफेय की बेटी हैं तथा मंगवानझौ की छोटी बहन। आखेट का परिणाम जैसा अपेक्षित। कोई भी बचता नहीं।
https://m.youtube.com/watch?v=Ik-KkkQ-cIc
कालचक्र। अमेरिकी चलचित्र सोर्सकोड का चीनिस्तानी संस्करण। एक समूहयान दुर्घटना का निरन्तर कालचक्र में दो लोग फँस जाते हैं। दुर्घटना के पीछे रहस्य सुलझाने से ही वे अपने जीवन बचा सकेंगे। जहाँ सोर्सकोड में दुर्घटना केवल सामान्य आतंकवाद था यहाँ कुछ सामाजिक विषय तथा न्याय की बात है। इसलिए कहानी अधिक गहन। कुछ वास्तविक दुर्घटना से प्रेरित लगता है जिसके कारण कुछ लोगों के लिए संवेदनशील विषय हो सकता है। युवक ही नहीं वयस्कजन के लिए भी हितोपदेशी। अन्य वास्तविकतावादी चीनिस्तानी कहानियों से भिन्न इसका अन्त हर्षदायक बनाया गया। लगभग दस घण्टे कुल।
https://m.youtube.com/watch?v=9KAan0-WlHs
इस उपाय में एक समस्या है। शास्त्र परम्परा में कुछ विषयवस्तुओं की सार्वजनिक शिक्षा का स्पष्ट निषेध है। मुख्यतः वेद मन्त्र प्रणव युक्त मन्त्र कर्मकाण्ड इत्यादि। परन्तु संस्कृत में लौकिक विषयवस्तुओं की सार्वजनिक शिक्षा की अनुमति का प्रमाण भी उपलब्ध है। चिकित्साशास्त्र के मान्य ग्रन्थ सुश्रुतसंहिता के शिष्योपनीयम अध्याय में यह कहा गया। ॰मंत्रवर्ज्यमनुपनीतमध्यापयेत्॰। चाणक्य का अर्थशास्त्र भास्कराचार्य के गणित तथा खगोलशास्त्र इत्यादि भी लौकिक विषयवस्तु हैं। स्वमत है कि इस आध्यात्मिक लौकिक विषयवस्तु विभाजन से भाषा में संस्कृत युक्त सार्वजनिक सर्वसमान शिक्षा सम्भाव्य। तथा पर्याप्त भी।
प्र॰। भाषा की भ्रष्टता से कैसे बचें। उ॰। पहले भाषा का संस्कृत से सम्बन्ध समझना चाहिए। जैसे शरीर में मांस तथा हड्डियाँ दोनों है। पर समान नहीं। हड्डियों से शरीर टिकता है। मांस से शरीर चलता है। हड्डी स्वयम चल नहीं सकता। मांस स्वयम टिक नहीं सकता। वैसे ही संस्कृत टिकता है। हिन्दी चलती है। पर संस्कृत बिना हिन्दी टिकेगी नहीं। हिन्दी बिना संस्कृत चलेगा नहीं। भाषा को संस्कृत से पृथक करना दोनों को मारने का प्रयास है। भाषा की भ्रष्टता से बचने का एक ही उपाय। भाषा में संस्कृत का प्रयोग।
नहि। न च हि च। निषेधः। अभावेनह्यनोनापि। इत्यमरः। यथा। ॰नहिनहिनहीत्येवकुरुते। इत्युद्भटः। हिन्दी में निषेधार्थक अव्यय चन्द्रबिन्दु युक्त नहीँ। संभवतः हाँ के जैसे। शिरोरेखा के ऊपर ई मात्रा होने के कारण सरलीकृत बिन्दु युक्त नहीं॥ हि। निश्चयार्थक अव्यय। हिन्दी में ही॥ हाँ। आम्॥
ध्यातव्य। शक कालगणना में क्रोधी संवत्सर आज से चल रहा है। अर्थात श॰ १९४७ वर्ष का संवत्सर नाम है। पर सामान्यतः लिखने में गत वर्ष अर्थात १९४६ ही लिखा जाता है दिनांक इत्यादि में॥ कालः। अद्य १९४६ तमेशकाब्दगते १९४७ तमेशकाब्दे क्रोधीसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदा। मंगलवारः १९४६:०१:शु:०१ ॥
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